उत्तरपथ में आप बठी, हाथ सिद्ध वाचा ऋद्धि-सिद्धि । धनधान्य देहि-देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।। ऊँ ह्रीं श्रीं चामुण्डा सिंहवाहिनी बीसहस्ती भगवती रत्नमण्डित सोनन की माल । ॐ वज्र मुस्ठी वज्र किवाड़। वज्र बाँधों दश द्वार। Reply Sara Oct twenty five, 2021 I:desire to knw how lng it wil tke to https://www.youtube.com/@Mahavidyabaglamukhi