किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है https://shivchalisalyrics83316.blogdon.net/shiv-chalisa-lyrics-in-gujarati-pdf-an-overview-45939623